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Impact of Goods and Services Tax on Indian Industry

(भारतीय अर्थव्यवस्था पर वस्तु और सेवा कर का प्रभाव)

Shri Dinesh Kumar Patidar

Assistant Professor Economics

Government College Suwasra,

District Mandsaur (Madhya Pradesh)

DOI: 10.52984/ijomrc3102

सारांश

सर्वप्रथम यदि हम अर्थव्यवस्था की बात करते हैं तो भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी तीसरी अर्थव्यवस्था है यदि क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से इसकी बात करें तो यह विश्व में सातवें पायदान पर आती है । और जनसंख्या के दृष्टिकोण से इसका दूसरा स्थान है। इसमें संदेह नहीं है कि 1991 से भारत में बहुत ही तीव्र गति से आर्थिक प्रगति हुई है । जब उदारीकरण और आर्थिक सुधार की जो नीतियां लागू की गई जिसके चलते भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में सभी के समक्ष उभरकर सामने आया। इससे पूर्व जब सुधारों की बात हो रही थी। तब मुख्य रूप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियंत्रण का अधिक प्रभाव था या यूं कहें कि दबाव था और जब सुधार लागू करने से पूर्व इसका पुरजोर विरोध किया गया तो इसके कुछ परिणाम सामने आए और इन आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सभी के समक्ष आने से विरोध भी काफी हद तक कम हुआ । परंतु फिर भी इसके मूलभूत जो ढांचा है उसमें कोई तीव्र प्रगति नहीं हो पाई जिससे काफी विरोधाभास भी उठाना पड़ा और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हो सका है।

हम अपने इस शोधपत्र के द्वारा यह दर्शाने का प्रयास करेंगे कि भारतीय अर्थव्यवस्था का वास्तविक स्वरूप क्या है और भारतीय अर्थव्यवस्था पर वस्तु और सेवा कर का क्या प्रभाव पड़ता है । क्योंकि आज जनमानस में सेवा कर को लेकर के बहुत असमंजस की स्थिति बनी रही है । अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ा है । भारत का जो कर का ढांचा है, स्थिति है उसके सुधार में यह एक बहुत बड़ा कदम है । क्योंकि इस व्यवस्था के क्रियान्वित होने से ही पूरा देश एकीकृत बाजार में परिवर्तित हो गया है । यह जो नवीन कर प्रणाली है उसमें सभी प्रकार के कर्म को समाहित किया गया है परंतु शायद कहीं ना कहीं कुछ असमंजस की स्थिति बनी हुई है । यह असमंजस की स्थिति समाप्त हो सके और वास्तविकता सभी के समझ आ सके उस दृष्टिकोण से यह एक छोटा सा प्रयास है

मुख्य शब्द- अर्थव्यवस्था आर्थिक, वस्तु और कर, वस्तु और कार आदि।

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