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Belangrikheid van Tantra in wetenskaplike vooruitsigte

(विद्वानों के दृष्टिकोण में तंत्र का महत्व)

 

 

Dr. Garima

Assistent Professor, Departement Joga,

Sahu Ram Swaroop Women's College Bareilly

DOI: 10.52984 / ijomrc1105

Opsomming:

 

हमारी भारतीय संस्कृति एवम परंपराओं केर्भ में अनेक रत्न छुपे हुए हुए उन्हीं रत्नों में है ऐसा रत्न है जो समसारे समाज में प्रचलित अनेक समस परंतु कुछ र्रांतियों के प्रचलन के णारण यह विकृत रूप लेता चला गया | यह रत्न है तंत्र, यहास्तव में बहुत ही गूढ़ और प्राचीन विद्या है | हमारे विद्वानों का यह मानना ​​हह कि कि इस्र साधना के के्वारा हम अनेक प्रकार की शक्ति ति्राप्त ोगोंरक हैं जिसके द्दारा हम यदि हम सकारात्मक दृष्टिकोण लेकर चलते हैं तो यह कोई जादू टोना या अहित करने वाली क्रिया नहीं है , बल्कि यह बहुत ही उच्च स्तरीय साधना है जो व्यक्ति के जीवन को सुव्यवस्थित करकी उनकी दैनिक समस्याओं से लेकर अनेक विषम परिस्थितियों में एक सहायक के रूप में सदैव साथ है, यदि स धक क िय िय िय व है है है है है सकत दू है शक सकत के द है है सकत है है ऐसा सरल और सुगम मार्ग है इसका अनुसरण करके व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को व्यवस्थित और उच्च स्तरीय व प्रभावशाली बना सकता है , साथ ही साथ वह सभी की सहायता भी कर सकता है , विद्वानों का ऐसा मानना रहा है कि इस विद्या के द्वारा प्रकृति की शक्ति पर भी क बू बू बू य सकत सकत है आनंदद आनंदद आनंदद यक थितिय थितिय थितिय पन पन पन ज ज सकती हैं औ औ उनक उनक मनम मनम न उपभोग उपभोग भी किय ज ज सकत सकत है | परंतु इसके लिए हमें बहुत हीावधावध रहना होगा, इन्रियाओं का सावधानी से और सही रूप में प्रयोग ूपरना होगा |

अत: इस विषय में इतना ही कहा जा सकता है कि कोई भी क्षेत्र क्यों ना हो तंत्र से अछूता नहीं है क्योंकि लोक कल्याण से लेकर सिद्धि समृद्धि तक आत्मा से परमात्मा तक तंत्र का महत्व फैला हुआ है जो साधक जिस उद्देश्य को लेकर अपनी साधना करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है |

Sleutelwoorde: तंत्र, मनवांछित फल

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