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Роль учителя в инклюзивном образовании

(समावेशी शिक्षा में अध्यापक की भूमिका)

Д-р Анита Джайсвал

Доцент кафедры образования

Женский колледж Саху Рам Сваруп, Барейли

anitajaiswal516@gmail.com

DOI: 10.52984 / ijomrc1104

Абстрактный:

समावेशी शिक्षा केवल एक दृष्टिकोण ही नही बल्कि एक माध्यम भी लिए जिनमे कुछ सीखने होती और जो अवरोधों के बावजूद चाहते इस बात को दर्शाता है वो सक्षम या विकलांग उन्हें सीखने योग्य बनाया जाय। इसके लिए एक समान स्कूल पूर्व व्यवस्थाएस्कूलों और सामुदायिक शिक्षा व्यवस्था तक पहुॅच सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है प्रशिक्षुओं जरूरतों को पूरा करने लिए सिर्फ लचीली में ही सम्भव है। समावेशी शिक्षा एंसी शिक्षा प्रणाली है जिसमें मूल्यों ज्ञान प्रणालियों और में प्रक्रियाओं और संरचनाओं के सभी स्तरों समावेशी नीतियों और प्रथाओं के माध्यम सभी नागरिक अधिकारों को प्राप्त जाता है |

अध्यापन व्यवसाय ने प्राचीन काल से ही ख्याति एवं सम्मान प्राप्त ।इस व्यवसाय की अपनी अलग शालीनता है में गुरू को एक आसन पर विराजमान था उसे बच्चे का पिता था लेकिन वर्तमान युग अध्यापक उतनी का पात्र नही हैए जितना कि पहले था विवेकानन्द की विचारधारा सच्चा अध्यापक वही है जो तत्काल ही स्तर तक आ जाए अपनी आत्मा तक सके और विद्याथियों के कानों से सुन देख सके तथा बूझ समझ सकें। बालक के शिक्षण में अध्यापक की महत्वपूर्ण भूमिका है। उसे बालक की आवश्यकताओं तथा समस्याओं को समझाना है और उसी अनुसार उनके अधिगम तथा क्रियाओं को निर्देशित पडता है।

शिक्षा की मुख्य धारा से सम्बन्धित बालकों की यद्यपि सम्बन्धी आवश्यकताए होती हैए फिर भी वे सामान्य के बहुत कार्यों को निपुणता है। विशिष्ट विद्यार्थियों को भी विषय क्षेत्र में सम्बन्धित विभिन्न बिषयों में कार्य करने की दक्षता के पर शिक्षा मुख्यधारा से किया है। अब ऐसे बालकों को क्या पढाना है इसमें परिवर्तन की आवश्यकता नही है। यदि सामान्य शिक्षा का पाठयक्रम उन बालकों उपयुक्त है फिर अनुदेशनात्मक विधियों में परिवर्तन आवश्यक होता है। इनका प्रारूप पहले से निश्चित किये गये छात्रों की कार्यप्रणाली, कार्यक्षमता, निपुणता, दक्षता तथा वतावरण के अनुसार किया जाता है। अनुदेशन में पाठयक्रम चयन करना, प्रस्तुतीकरण, अभ्यास करना, दक्षता का विकास करना तथा क्रियान्वयन करना इन पाॅच बिन्दूओं को सुमेलित किया जाता है।

संकेत: व्यवसाय, समावेशी, आवश्यकताऐं, सन्तुष्टि

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