बहुआयामी अनुसंधान विन्यास के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल
DOI: 10.52984/ijomrc,
बिहार में नक्सलवाद का पतन
(बिहार में बोध का बोध)
पप्पू ठाकुर* ; डॉ. नारद सिंह**
*रिसर्च स्कॉलर, सामाजिक विज्ञान संकाय, वीकेएस विश्वविद्यालय, आरा-बिहार,
*विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, वीकेएस विश्वविद्यालय, आरा-बिहार
सरः
खतरनाक हमारे देश के लिए बड़ा खतरा बन गया है। मई 2007 में ऐसा ही एक विषय पर आधारित होता है और यह एक विषय पर आधारित होता है। इस तरह से तैयार किया गया है और गहनता से तैयार किया गया है। मध्यम गति से चलने के लिए यह भी एक समस्या है। यह एक वास्तविक स्थापना है। पश्चिमी वातावरण में संचार वातावरण में स्थापित होने के कारण वातावरण में संचार वातावरण में स्थिर होता है। भारत में बार-बार बातचीत और बातचीत के विषय में बातचीत का विषय बना। यह विविध प्रकार के मानसिक-साथी के साथ-साथ वैलेंटाइन्स के साथ-साथ मानसिक बिहार में माओवाद्य और शक्तिशाली को अन्य रंग से सुसज्जित करता है।
चिह्नः विश्वदृष्टि, सामाजिक परिवर्तन, अद्वार परियोजना