Internationale Zeitschrift für multidisziplinäre Forschungskonfiguration
DOI: 10.52984/ijomrc, (IIJIF) Auswirkungsfaktor: 1,590, ISSN: 2582-8649
DOI: 10.52984/ijomrc,
Rolle des Lehrers in der inklusiven Bildung
(समावेशी शिक्षा में अध्यापक की भूमिका)
Dr. Anita Jaiswal
Assistenzprofessorin, Fachbereich Erziehungswissenschaften
Sahu Ram Swaroop Women's College Bareilly
DOI: 10.52984/ijomrc1104
Abstrakt:
समावेशी शिक्षा केवल एक दृष्टिकोण ही नही बल्कि एक है विशेषकर उन लोगों के लिए कुछ की ललक होती है जो तमाम अवरोधों बढना चाहते हो उन्हें सीखने योग्य बनाया जाय । इसके लिए एक समान स्कूल पूर्व व्यवस्थाएस्कूलों और सामुदायिक शिक्षा तक पहुॅच सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है की जरूरतों को पूरा करने यह प्रक्रिया सिर्फ लचीली शिक्षा प्रणाली में ही है । समावेशी शिक्षा एंसी शिक्षा प्रणाली है जिसमें मूल्यों का ज्ञान और संस्कृतियों में प्रक्रियाओं और संरचनाओं के सभी समावेशी नीतियों और माध्यम से सभी नागरिक अधिकारों को प्राप्त किया जाता है |
अध्यापन व्यवसाय ने प्राचीन काल से ख्याति किया अपनी अलग शालीनता है प्राचीन एक उच्च आसन किया जाता वर्तमान युग . अध्यापक का पात्र नही हैए जितना कि था विचारधारा में अध्यापक वही है जो तत्काल ही विद्यार्थियों स्तर तक आ जाए आत्मा तक हस्तांतरित सके और विद्याथियों के देख सके तथा उनकी बूझ समझ सकें । बालक के शिक्षण में अध्यापक की महत्वपूर्ण भूमिका है । उसे बालक की आवश्यकताओं तथा समस्याओं को समझाना होता है और उसी के अनुसार उनके अधिगम तथा क्रियाओं निर्देशित करना पडता है ।
शिक्षा की मुख्य धारा से सम्बन्धित बालकों की यद्यपि विशिष्ट अधिगम सम्बन्धी आवश्यकताए हैए फिर भी वे सामान्य कक्षा शिक्षण के बहुत से को करने की आवश्यक निपुणता रखते है विशिष्ट विद्यार्थियों को भी विषय क्षेत्र में निपुणता एवं शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न में कार्य करने की दक्षता के आधार पर शिक्षा की मुख्यधारा से सम्बद्ध जा सकता है । अब ऐसे बालकों को क्या पढाना है इसमें परिवर्तन की आवश्यकता नही है । यदि सामान्य शिक्षा का पाठयक्रम उन बालकों के लिए उपयुक्त है फिर भी अनुदेशनात्मक विधियों में परिवर्तन करना आवश्यक होता है । इनका प्रारूप पहले से निश्चित किये गये छात्रों की कार्यप्रणाली , कार्यक्षमता, निपुणता, दक्षता तथा वतावरण के अनुसार किया जाता है। अनुदेशन में पाठयक्रम चयन करना,प्रस्तुतीकरण,अभ्यास करना,दक्षता का विकास करना तथा क्रियान्वयन करना इन पाॅच बिन्दूओं को सुमेलित किया जाता है।
: व्यवसाय, समावेशी, आवश्यकताऐं, सन्तुष्टि